इश्क़ का श्राप
( एक रोमांटिक हॉरर थ्रिलर)
अध्याय 1: रहस्यमयी वादियाँ (विस्तृत संस्करण)
सर्दियों की शुरुआत शिमला में हमेशा किसी जादू की तरह होती है। आसमान हल्का नीला, पहाड़ बर्फ से ढके, और हर सांस में ठंडक और सुकून का एहसास होता है। देवदार और चीड़ के पेड़ों की हल्की सरसराहट, दूर कहीं मंदिर की घंटियों की ध्वनि और सड़क पर बिखरी बर्फ पर चलती कार की धीमी आवाज़ें मिलकर एक रहस्यमयी माहौल बना देती हैं।
इन्हीं पहाड़ियों के बीच, मुख्य शहर से कुछ मील दूर, स्थित था एक पुराना हवेलीनुमा रिसॉर्ट – “रॉयल ब्लू मिस्ट“। स्थानीय लोग इसे “भूतों की हवेली” कहकर बुलाते थे। ब्रिटिश काल में बना ये महलनुमा ढांचा अब एक होटल में बदल दिया गया था, लेकिन इसके बारे में कई किस्से और कहानियाँ आज भी लोगों के मन में डर पैदा कर देते थे।
कहा जाता था कि यहाँ कभी किसी रजवाड़े का निवास था। राजा अपनी विदेशी रानी के साथ यहाँ रहा करते थे। लेकिन रानी की रहस्यमयी मौत के बाद, यह हवेली वीरान हो गई। वर्षों बाद इसे एक बिजनेस ग्रुप ने खरीदकर रिसॉर्ट में बदल दिया। लेकिन मेहमान अक्सर अजीब घटनाओं की शिकायतें करते – अपने आप खुलते दरवाज़े, आधी रात को बच्चों की हँसी, आईने में दिखती परछाइयाँ, और कभी-कभी खून से सनी पुरानी तस्वीरें।
इन सब किस्सों से अनजान नहीं था राहुल माथुर – 28 साल का एक जाने-माने यूट्यूबर और एडवेंचर ब्लॉगर। वह “Haunted India” नाम की एक सीरीज़ चला रहा था और उसका अगला पड़ाव था – यही रिसॉर्ट। रोमांच उसकी नसों में दौड़ता था। उसे डर का सामना करना पसंद था, कैमरे में कैद करना और दुनिया को दिखाना उसकी रोज़ी-रोटी थी।
राहुल ने अपने टीम से कहा था, “इस बार असली कहानी चाहिए – सिर्फ अफवाहें नहीं। मैं चाहता हूँ कैमरा कुछ कैद करे जो अब तक किसी ने ना देखा हो।”
शिमला पहुंचते ही उसका स्वागत किया सर्द हवा ने, जिसने उसकी गर्दन के नीचे तक झुरझुरी भेज दी। गाड़ी जब पहाड़ियों को काटती हुई रॉयल ब्लू मिस्ट तक पहुंची, तो शाम ढल रही थी। नीला आसमान धीरे-धीरे जामुनी रंग में बदल रहा था, और हवेली के पीछे उगता चाँद उसे और डरावना बना रहा था।
रिसॉर्ट के गेट पर एक बूढ़ा चौकीदार खड़ा था, जिसका चेहरा भावहीन था। उसने केवल सिर हिलाकर राहुल का स्वागत किया और धीमे स्वर में कहा, “साहब, रात के बाद बागीचे में मत जाइएगा। कुछ… ठीक नहीं रहता वहाँ।”
राहुल ने मुस्कराकर जवाब दिया, “यही तो देखने आया हूँ बाबा।”
रिसॉर्ट के अंदर घुसते ही एक अजीब सी ठंड महसूस हुई – जो सिर्फ मौसम की नहीं थी। फर्श पर बिछे पुराने लकड़ी के फर्श से आवाज़ आती थी, जैसे कोई बार-बार चल रहा हो। दीवारों पर टंगी तस्वीरें धुंधली थीं, और उनके चेहरों में मानो कोई चेतावनी छिपी हो।
राहुल का कमरा हवेली के पिछवाड़े की ओर था, जहाँ से एक विशाल बागीचा दिखता था। रिसॉर्ट के बाकी हिस्से खाली लग रहे थे। शायद ऑफ-सीजन था, या शायद लोग डर से यहाँ नहीं आते।
शाम को वह अपना कैमरा सेट कर रहा था तभी उसे खिड़की से एक हलचल दिखी – बागीचे में एक लड़की बैठी थी, सफेद साड़ी में लिपटी हुई, खुले लंबे बाल, और चुपचाप आसमान की ओर देखती हुई।
राहुल ने ध्यान से देखा – वह कोई आम लड़की नहीं थी। उसके चेहरे पर एक अजीब सी शांति थी, लेकिन उसकी आँखें… उनमें एक गहरा दुख छुपा था। ऐसा लग रहा था जैसे वक़्त उसके लिए रुक चुका हो।
उत्सुकता में राहुल कमरे से बाहर निकला और सीढ़ियों से होते हुए बागीचे की ओर बढ़ा। बर्फ से ढके रास्ते पर चलते हुए उसके जूते चरमरा रहे थे, और वातावरण में एक अजीब सन्नाटा पसरा था।
वह लड़की अब भी वहीं थी, जैसे किसी गहरी सोच में डूबी हो।
“हाय,” राहुल ने हल्की आवाज़ में कहा।
लड़की ने धीरे से सिर घुमाया और उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में ऐसा आकर्षण था कि राहुल कुछ पलों के लिए खुद को भूल गया।
“क्या आप… यहाँ अक्सर आती हैं?” राहुल ने पूछा।
लड़की ने बस इतना कहा, “यहाँ की हवा में पुराने किस्से हैं। जो सुन ले, वो कभी भूल नहीं पाता।”
“और आप? क्या आप भी किसी किस्से का हिस्सा हैं?” राहुल ने मुस्कराते हुए पूछा।
लड़की ने कोई उत्तर नहीं दिया। वह उठी, बर्फ से ढके रास्ते पर नंगे पाँव चलती हुई जंगल की ओर बढ़ने लगी।
“आपका नाम…?” राहुल ने पीछे से पुकारा।
“अनाया,” उसने बिना मुड़े कहा।
राहुल वहीं खड़ा रह गया, ठंडी हवा में लहराती उसकी साड़ी और गायब होता उसका चेहरा – किसी डरावने लेकिन खूबसूरत romantic horror story in Hindi की पहली झलक बन चुका था।
अध्याय 2: पहली मुलाकात (विस्तृत संस्करण)
शिमला की ठंडी रात अपनी पूरी रहस्यमयी चादर ओढ़ चुकी थी। आकाश में चाँद अपनी चांदी बिखेर रहा था और रिसॉर्ट के पीछे फैले बर्फीले बागीचे में हर चीज़ ठहर सी गई थी। राहुल खिड़की से नीचे देख रहा था, जहां वही रहस्यमयी लड़की अब भी उसी बेंच पर बैठी थी, शांत… स्थिर… लेकिन आकर्षक।
उसके मन में कई सवाल उठे। कौन थी वो? यहाँ क्या कर रही थी? और सबसे बड़ा सवाल — रात के इस पहर में, अकेली?
राहुल खुद को रोक नहीं पाया। उसने कैमरा बैग उठाया, एक टॉर्च जेब में डाली और रिसॉर्ट की पुरानी लकड़ी की सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा। हर कदम के साथ फर्श चरमराया, जैसे हवेली उसे आगाह कर रही हो — “वापस जा, राहुल।”
लेकिन रोमांच उसकी रगों में दौड़ता था। डर और जिज्ञासा की खींचातानी में वह बागीचे तक पहुँच गया।
वो लड़की अब भी आसमान की ओर देख रही थी। बर्फ में नंगे पाँव, सफेद साड़ी में लिपटी, लंबे खुले बाल — जैसे समय ने उसे छूना बंद कर दिया हो। राहुल ने धीरे से पास आकर कहा,
“यहाँ अकेली बैठना कुछ अजीब नहीं लगता?”
लड़की ने हल्के से सिर घुमाया। उसकी आँखें बहुत गहरी थीं, मानो किसी और युग की कहानी कहती हों। होंठों पर एक मर्मस्पर्शी मुस्कान उभरी, और उसने जवाब दिया,
“अकेली नहीं हूँ… यादों का साथ है।“
राहुल को उसकी बात कुछ देर तक समझ ही नहीं आई। लेकिन शब्दों की गहराई ने उसे जकड़ लिया था। उसने खुद को बेंच के दूसरे छोर पर बैठा पाया, थोड़ी दूरी बनाकर।
“मैं राहुल हूँ,” उसने हल्के मुस्कान के साथ कहा।
“यूट्यूब पर वीडियो बनाता हूँ। भारत के डरावने स्थलों पर डॉक्यूमेंट्री कर रहा हूँ।“
लड़की ने बिना चौंके कहा,
“जो डर खोजते हैं, उन्हें डर भी खोज लेता है…”
राहुल को लगा जैसे उसके शब्द सीधे उसके दिल में उतर रहे हैं। वह लड़की अजनबी होते हुए भी जानी-पहचानी सी लग रही थी।
“आप यहाँ अकेली रहती हैं?” राहुल ने पूछा।
“कभी नहीं। ये हवेली, ये पेड़, ये बर्फ… सब मेरे हैं।“
उनकी बातें धीरे-धीरे बहती चली गईं — किताबों से लेकर संगीत तक, जीवन से लेकर अधूरे प्यार तक। राहुल को खुद समझ नहीं आया कि वह इतना क्यों बोल रहा है। उसने अपने बचपन के डर, अपने टूटे हुए रिश्तों, और अकेलेपन की बात भी कह दी — जो वह कभी किसी से नहीं कहता था।
और हैरानी की बात ये थी कि वो लड़की सब समझ रही थी।
“तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम अकेले हो?” उसने पूछा।
“क्योंकि जब भी किसी को करीब लाया, वो चला गया,” राहुल ने कहा।
वो मुस्कराई, लेकिन आँखों में नमी थी।
“जो चीज़ें जाने के लिए होती हैं, वो चाहे जितना रोक लो, रुकती नहीं। और जो साथ रहने के लिए होती हैं… वो कभी दूर नहीं जातीं।“
राहुल ने सिर झुका लिया। इतने कम समय में, कोई उसके दिल को इतने करीब से कैसे पढ़ सकता है?
चाँद अब और ऊँचा चढ़ आया था, और चारों ओर एक रहस्यमयी चुप्पी थी।
अचानक लड़की खड़ी हो गई।
“अब मुझे जाना होगा…”
राहुल ने चौंककर कहा,
“अभी? रात काफी हो चुकी है, मैं आपको छोड़ देता हूँ अंदर तक।“
उसने सिर हिलाकर मना कर दिया,
“नहीं… मुझे रास्ता मालूम है।“
वो बर्फ पर नंगे पाँव चलती हुई जंगल की ओर बढ़ने लगी। साड़ी का पल्लू बर्फ में लहराता रहा। राहुल ने आवाज़ दी,
“आपका नाम तो बताया ही नहीं…”
वो बिना मुड़े बोली,
“अनाया…”
और अगले ही पल वो अंधेरे में समा गई।
राहुल भागकर थोड़ा आगे गया, लेकिन वहां कोई नहीं था। उसके कदमों के निशान भी धीरे-धीरे बर्फ में मिटने लगे थे — जैसे वो कभी थी ही नहीं।
राहुल स्तब्ध खड़ा रहा।
“क्या मैं किसी इंसान से मिला था… या किसी आत्मा से?”
उसने जेब से कैमरा निकाला, सोचा शायद कोई क्लू मिल जाए। पर कैमरे में कुछ भी रिकॉर्ड नहीं हुआ था — न आवाज़, न चेहरा।
उस रात राहुल को नींद नहीं आई। अनाया की आवाज़, उसकी आँखें, और उसकी आखिरी बात —
“मैं अकेली नहीं हूँ…” —
राहुल के ज़ेहन में गूंजती रही।
अध्याय 3: डर का पहला संकेत
सुबह की हल्की रोशनी रिसॉर्ट की खिड़कियों से अंदर झाँक रही थी, लेकिन राहुल की आँखों में नींद का कोई नामोनिशान नहीं था। अनाया की मुलाकात ने उसके मन में एक तूफान खड़ा कर दिया था। वो कोई आम लड़की नहीं थी। उसकी बातों में दर्द था, लेकिन वो दर्द भी मोहक था। और सबसे रहस्यमयी बात — वो जंगल की ओर कैसे गायब हो गई? और कैमरे में उसका कोई अंश तक रिकॉर्ड क्यों नहीं हुआ?
राहुल ने अपने डिवाइस दोबारा चेक किए। पिछली रात उसने कैमरा चालू किया था, लेकिन अनाया का कोई चेहरा, कोई आवाज़, कुछ भी कैद नहीं हुआ था। केवल बर्फ में उसकी अपनी परछाई और हवा की सरसराहट।
“क्या मैं किसी आत्मा से बात कर रहा था?” राहुल खुद से सवाल करता रहा।
लेकिन उसका रोमांच यहीं नहीं थमा। उस दिन राहुल ने रिसॉर्ट के केयरटेकर “बृजमोहन” से बात की। बृजमोहन एक बूढ़ा, झुका हुआ इंसान था जिसकी आँखों में वर्षों पुराना डर अब भी ज़िंदा था।
“बाबूजी,” बृजमोहन ने कहा, “इस हवेली में रात में बाहर मत निकला कीजिए। जो दिखता है, वो हमेशा होता नहीं…”
राहुल ने सीधे सवाल किया, “क्या आपने कभी एक लड़की को देखा है यहाँ… सफेद साड़ी में, लंबे बाल, बहुत शांत?”
बृजमोहन की आँखें फैल गईं। उसने काँपते हुए कहा, “अनाया…”
राहुल चौक गया।
“आप उसे जानते हैं?”
“सब जानते हैं… जो यहाँ रहते हैं। लेकिन कोई उसका नाम नहीं लेता। वो इस हवेली की कहानी है, बाबूजी। मौत और मोहब्बत का अधूरा अध्याय।“
राहुल ने जिद की कि वह सब सुनना चाहता है। बृजमोहन ने एक लंबी सांस ली और कहना शुरू किया:
“कई साल पहले की बात है। ये हवेली राजा वीरेंद्र सिंह की थी। उनके बेटे आरव को एक आम लड़की से प्यार हो गया था — उसका नाम था अनाया। वो यहीं पास के गाँव की थी। दोनो ने छुप–छुपकर मुलाकातें कीं। लेकिन जब राजा को पता चला, उन्होंने अनाया को हवेली में बुलवाया और… वहीं उसकी हत्या करवा दी।“
राहुल सन्न रह गया।
“कहा जाता है,” बृजमोहन ने आगे कहा, “अनाया की आत्मा यहीं भटकती है। वो अपने प्यार का इंतज़ार कर रही है… या शायद बदला लेने के लिए लौटी है। जो भी हो, बाबूजी… उससे दूर रहिए। कई लोगों ने उसे देखा है, और उसके बाद… वो लोग कभी नहीं लौटे।“
राहुल ने मुस्कुरा कर कहा, “पर मैं अब उसे छोड़ नहीं सकता। मैं जानना चाहता हूँ कि वो क्या चाहती है।“
बृजमोहन काँपते हाथों से उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला, “तो फिर भगवान आपका रखवाला हो।“
उसी रात
राहुल ने निर्णय लिया कि वह फिर से उसी बेंच के पास जाएगा। रात के ठीक 12 बजे, वो अपने कैमरे और टॉर्च के साथ बाहर निकला। दिल तेजी से धड़क रहा था, लेकिन डर पर काबू पाने की आदत उसके अंदर थी।
वो बेंच तक पहुँचा… लेकिन वहां कोई नहीं था। हवाओं की आवाज़ और दूर कहीं उल्लू की हूक वातावरण को और डरावना बना रही थी।
फिर अचानक…
एक धीमी सी सरसराहट… जैसे कोई लड़की अपने पैरों से बर्फ को चीरती आ रही हो।
राहुल ने टॉर्च घुमाई — और वहाँ वो थी।
अनाया।
उसी साड़ी में, उसी ठहराव के साथ, पर इस बार उसकी आँखों में कुछ और था — डर नहीं, आग थी। बदला।
“तुम फिर आ गए?” उसकी आवाज़ पहले से अलग थी, गहरी और भारी।
“मैं जानना चाहता हूँ कि तुम कौन हो… और क्या चाहती हो?” राहुल ने हिम्मत कर पूछा।
अनाया आगे बढ़ी।
“मैं वही चाहती हूँ जो हर टूटा दिल चाहता है — इंसाफ।“
राहुल ने पूछा, “कैसा इंसाफ?”
उसने आसमान की ओर देखा और कहा,
“जिसने मेरा प्यार छीना, मेरा जीवन छीना… मैं अब उसकी सजा पूरी कर रही हूँ। लेकिन शायद… तुम अलग हो। तुम्हारी आँखों में लालच नहीं, समझ है। तुम मेरे दर्द को सुन सकते हो।“
राहुल ने हाथ बढ़ाया,
“अगर मैं तुम्हारी कहानी दुनिया को दिखाऊँ… तो क्या तुम मुक्त हो सकती हो?”
अनाया ने पहली बार मुस्कराकर कहा,
“शायद…”
और तभी… एक तेज़ चीख हवेली के अंदर से आई।
राहुल और अनाया दोनों ने मुड़कर देखा। चीख औरत की थी — तेज़, दर्दनाक, जैसे किसी को मार दिया गया हो।
अनाया ने राहुल का हाथ पकड़ लिया।
“वो आ गया है… राजा का श्राप अभी बाकी है।“
अध्याय 4: श्रापित आत्माएँ
हवेली की उस चीख ने पूरे वातावरण को हिला कर रख दिया था। वह चीख सिर्फ दर्द की नहीं थी — वह आत्मा की पुकार थी, जैसे किसी ने वर्षों पुरानी बंद पीड़ा को फिर से ज़िंदा कर दिया हो।
राहुल और अनाया ने एक-दूसरे की ओर देखा। अनाया का चेहरा पहले से ज्यादा गंभीर था।
“अब वक़्त आ गया है,” वह फुसफुसाई।
“किसका वक़्त?” राहुल ने घबराकर पूछा।
“उन आत्माओं का जो इस हवेली में कैद हैं… जिनकी कहानियाँ अधूरी रह गईं। हर एक आत्मा राजा वीरेंद्र सिंह के पापों का हिस्सा है। उन्होंने ना जाने कितनों को इसी हवेली की दीवारों में दफना दिया। उनकी चीखें अब भी इस हवेली की दीवारों में गूंजती हैं…”
राहुल ने खुद को मजबूत करते हुए कहा,
“मैं यहाँ आया था इंडिया के Most Haunted Places की वीडियो बनाने… अब मैं इन आत्माओं की आवाज़ बनना चाहता हूँ।“
अनाया ने उसकी ओर देखा, मानो वर्षों बाद किसी इंसान ने उसकी पीड़ा समझी हो।
राहुल ने तय किया कि वह उस कमरे तक जाएगा जहाँ से चीख आई थी।
हवेली के पुराने गलियारे अब पहले से ज्यादा डरावने लग रहे थे। हर दीवार पर अजीब से निशान थे — जैसे किसी ने नाखूनों से दीवारों को खरोंचा हो। सीढ़ियों पर पड़े खून जैसे धब्बे और कमरे में फैली धूल ने डर का माहौल और गहरा कर दिया।
वो कमरा, हवेली के सबसे ऊपर वाले माले पर था — राजसी कक्ष। वही जगह जहाँ राजा वीरेंद्र सिंह अपने फैसले सुनाया करता था… और शायद सज़ा भी।
राहुल ने भारी दरवाज़ा धकेला।
अंदर घना अंधेरा था, और हवा में नमी के साथ एक बदबू थी — सड़ी हुई आत्माओं की।
राहुल ने कैमरा चालू किया, टॉर्च की रौशनी में कमरे को स्कैन किया।
अचानक, दीवार पर छायाएँ नाचने लगीं। एक औरत की आकृति उभरी — आँखों से खून टपकता, शरीर जले हुए कपड़ों से ढका। फिर दूसरी… तीसरी… और फिर एक झुंड… चीखती, रोती, मदद की गुहार लगाती आत्माएँ।
राहुल का शरीर काँपने लगा। लेकिन अनाया शांत खड़ी थी।
“ये सब वो हैं जिनकी आत्माएँ राजा के पापों की कैदी हैं। मैं इनकी अगुआ हूं। मेरी आत्मा तब तक मुक्त नहीं होगी जब तक राजा का अंत नहीं होगा — उसकी आत्मा को खत्म किए बिना ये हवेली शांत नहीं हो सकती।“
राहुल ने पूछा,
“लेकिन वो तो मर चुका है…”
“शरीर से हाँ… पर उसकी आत्मा अब भी इस हवेली में मौजूद है। और अब वो जान चुका है कि तुम उसकी सच्चाई जान चुके हो।“
इतने में कमरे की दीवारें हिलने लगीं। ज़मीन पर दरारें पड़ने लगीं। और फिर… सामने की दीवार पर एक चेहरा उभरा — क्रोध से जलता हुआ, लाल आँखों वाला, विकराल — राजा वीरेंद्र सिंह की आत्मा।
“तुमने मेरी हवेली में कदम रखा, अब इससे बाहर नहीं जा पाओगे!” वो गरजा।
राहुल ने कैमरा उसकी ओर किया, और जोर से बोला,
“मैं तुम्हारी सच्चाई दुनिया को दिखाऊँगा! अब डर नहीं लगता मुझे!”
राजा की आत्मा ने एक चीख मारी और बिजली सी चमक उठी। राहुल हवा में उछला और ज़मीन पर गिर पड़ा।
अनाया दौड़ी, उसके पास आई।
“राहुल! अब एक ही तरीका है — आत्मा को उसकी अस्थियों के साथ जलाना। वही उसका अंत कर सकता है।“
“उसकी अस्थियाँ कहाँ हैं?” राहुल ने पूछा।
“जहाँ उसका पाप छिपा है — हवेली के तहखाने में। जहाँ मुझे मारा गया था…”
तहखाने की ओर
राहुल और अनाया अब हवेली के सबसे निचले हिस्से की ओर बढ़ रहे थे। दीवारों पर आत्माओं की फुसफुसाहट, हवाओं में चीखों की आवाज़ें, और हर कोने से आती परछाइयाँ उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थीं।
तहखाने का दरवाज़ा लोहे का था — भारी, जंग लगा हुआ। राहुल ने ज़ोर लगाकर खोला तो एक औरत की कराहती हुई आवाज़ आई —
“मुझे मत मारो…”
वो आवाज़ अनाया की ही थी — उसकी आखिरी सांसें, उसकी आखिरी चीख।
राहुल की आंखें नम हो गईं।
अंदर एक पत्थर की समाधि थी, और उस पर उकेरा हुआ नाम — “वीरेंद्र सिंह“।
“यही है…” अनाया ने कहा।
राहुल ने बैग से कैमरा हटाकर एक माचिस निकाली। लेकिन तभी हवा का एक झोंका आया और टॉर्च बुझ गई। अब केवल अंधकार बचा था।
अंधेरे में राजा की आत्मा गरज पड़ी,
“कोई मुझे जला नहीं सकता! मैं इस हवेली का स्वामी हूं!”
पर तभी… आत्माओं की चीखें ज़ोर से गूंजने लगीं।
राहुल ने हिम्मत कर समाधि पर घी छिड़का, माचिस जलाई और—
भभक कर आग जल उठी।
हवेली कांपने लगी। दीवारें दरकने लगीं। राजा की आत्मा चीखती हुई भस्म होने लगी। अनगिनत आत्माएँ हवा में विलीन हो गईं।
और अंत में…
सन्नाटा।
अनाया ने राहुल का हाथ पकड़ा, आँखों में राहत थी।
“तुमने मुझे मुक्त कर दिया…”
राहुल ने कहा,
“अब तुम आज़ाद हो?”
वो मुस्कराई, उसकी रूह धीरे-धीरे बर्फ में घुलने लगी,
“हाँ… अब मैं सच में अकेली नहीं हूँ।“
अध्याय 5: विरासत
सुबह की पहली किरण जब पहाड़ों पर पड़ी, तो हवेली “रॉयल ब्लू मिस्ट“ के चारों ओर का वातावरण पूरी तरह बदल चुका था। वो डरावनी, सिहरन पैदा करने वाली हवेली अब शांत लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वर्षों से कैद आत्माओं को अंततः मुक्ति मिल गई हो।
राहुल, धूल और राख से भरे कपड़ों में, बाहर लॉन में बैठा था। उसकी आंखें लाल थीं लेकिन उनमें राहत की चमक थी। अनाया अब नहीं थी, लेकिन उसकी आत्मा, उसकी मुस्कान, और उसकी प्रेमकथा राहुल के दिल में जीवित थी।
कुछ ही घंटों बाद, राहुल शिमला से लौटने की तैयारी कर रहा था। लेकिन वह खाली हाथ नहीं लौट रहा था — वह लाया था एक ऐसी सच्ची प्रेम और भूतिया कहानी, जो इंटरनेट पर लाखों दिलों को छूने वाली थी।
6 महीने बाद
राहुल का चैनल अब पूरी दुनिया में फेमस हो चुका था। “Haunted Love of Shimla” नाम से उसका डॉक्यूमेंट्री वीडियो वायरल हो गया था। लाखों लोग उसकी कहानी को देखकर भावुक हो गए थे।
वीडियो में था:
- हवेली की असली तस्वीरें
- तहखाने की भयानक रिकॉर्डिंग
- दीवारों पर पड़ी आत्माओं की छाया
- और सबसे महत्वपूर्ण — अनाया की रूह की झलक, जो शायद पहली और आखिरी बार कैमरे में कैद हुई थी।
राहुल ने वीडियो में अपनी भावनाएं भी शेयर की थीं:
“मैंने एक आत्मा से प्यार किया। एक ऐसी आत्मा जो इंसाफ चाहती थी, और जब उसे वो मिला, तो वो मुक्त हो गई। पर उसकी कहानी अब मेरी ज़िंदगी का हिस्सा है।“
लोगों ने उस पर विश्वास किया। किसी ने कहा, “यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, आत्मा की शांति की कहानी है।“
किसी ने कहा, “मैंने पहली बार किसी भूत की आंखों में मोहब्बत देखी है।“
रहस्यमयी पैकेट
एक दिन राहुल के दरवाजे पर एक पुराना पैकेट रखा मिला। ऊपर लिखा था —
“रॉयल ब्लू मिस्ट हवेली की अंतिम निशानी – अनाया की विरासत“
उसने उसे खोला।
अंदर एक डायरी थी। वही डायरी जिसमें अनाया ने अपने आखिरी दिन लिखे थे। हर पन्ना दर्द से भरा था, लेकिन साथ ही उम्मीद से भी।
“मैं जानती हूँ कि एक दिन कोई आएगा, जो मेरी कहानी सुनेगा। मुझे नहीं चाहिए था बदला, मुझे चाहिए था बस कोई जो समझे। मैं उसकी प्रतीक्षा करूँगी…”
राहुल की आंखों में आंसू आ गए। उस डायरी ने उसके यकीन को और मजबूत कर दिया।
उसने उसे अपने अगले वीडियो का हिस्सा बनाया, और शीर्षक दिया —
“अनाया की डायरी: एक भूतिया प्रेम की अमर विरासत“
समाप्ति या शुरुआत?
राहुल आज भी नए-नए हॉन्टेड लोकेशन्स पर जाता है, लेकिन हर बार उसकी जेब में अनाया की डायरी होती है। वह उसे ताकत देती है, हिम्मत देती है, और याद दिलाती है कि हर आत्मा डरावनी नहीं होती — कुछ आत्माएँ सिर्फ प्यार और इंसाफ चाहती हैं।
राहुल अब न केवल एक एडवेंचर व्लॉगर है, बल्कि एक Ghost Story Archivist भी बन चुका है — जो भूली हुई रूहों की कहानियाँ दुनिया तक पहुँचाता है।
और शायद, एक दिन जब वह सबसे डरावने लोकेशन पर होगा, किसी मोड़ पर फिर अनाया की रूह दिखेगी —
“तुमने जो किया… वो मेरी मुक्ति थी। अब मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ…”
अध्याय 6: आत्मा की वापसी
रात की स्याही अब और भी गहरी हो चुकी थी। हवेली “रॉयल ब्लू मिस्ट” की दीवारें कांप रही थीं, जैसे वर्षों से बंद कोई राज अब खुलने को था। और उस राज के केंद्र में था — राहुल, जिसे अब खुद ये समझ आ चुका था कि वह सिर्फ एक व्लॉगर नहीं, बल्कि अर्जुन का पुनर्जन्म है।
और करण, जो अब इस हवेली का कानूनी मालिक बन चुका था, असल में कोई और नहीं, बल्कि वही क्रूर आत्मा, जिसने वर्षों पहले अनाया के जीवन को तबाह किया था।
यादों का पुनर्जागरण
राहुल को एक के बाद एक अपने पिछले जन्म की यादें आने लगीं — वो एक वीर योद्धा था, जिसे राजा वीरेंद्र सिंह ने अपनी हवस और शक की वजह से मौत के घाट उतार दिया था। अर्जुन और अनाया का प्रेम सच्चा था, पर उसे मिटा दिया गया था… मगर आत्मा नहीं मरी थी।
और अब, उस अधूरी मोहब्बत का हिसाब होना बाकी था।
राहुल की आत्मा ने अनाया की ओर देखा — उसकी आंखों में फिर वही प्रेम था, पर इस बार उसमें ज्वाला भी थी।
हवेली का बदलता मिज़ाज
हवेली के अंदर एक अलग ही हलचल थी। अचानक दीवारों पर पुरानी तस्वीरें खुद से गिरने लगीं, लकड़ी की सीढ़ियाँ कराहने लगीं, और हर कोने में आत्माओं की फुसफुसाहट सुनाई देने लगी।
दरवाज़े खुद–ब–खुद बंद हो जाते।
आईने में अजनबी चेहरे दिखाई देने लगे — कुछ जलते हुए, कुछ चीखते हुए, और कुछ जिनकी आंखों में खून टपक रहा था।
अनाया ने राहुल का हाथ पकड़ा और बोली,
“ये सब अब जाग चुके हैं… ये आत्माएं करण के पाप की गवाह हैं। ये ही अब इंसाफ मांगेंगी।“
करण की सच्चाई
करण, जो अब एक प्रसिद्ध रियल एस्टेट डेवेलपर था, हवेली को “हेरिटेज होटल” में बदलना चाहता था। लेकिन सच्चाई कुछ और थी — वो हवेली की जमीन को बेचना चाहता था, ताकि आत्माओं को हमेशा के लिए मिटाया जा सके।
पर उसे नहीं पता था कि हवेली अब जाग चुकी थी।
राहुल और अनाया ने आत्माओं का आह्वान किया।
अनाया ने हवेली के बीचों-बीच खड़े होकर आँखें बंद कीं और कुछ संस्कृत मंत्रों का उच्चारण किया। हवा में अचानक कंपन हुआ और चारों ओर धुंध भर गई।
फिर… एक के बाद एक आत्माएँ प्रकट होने लगीं — हर आत्मा ने अपनी कहानी सुनाई, हर एक का चेहरा दर्द से भरा था, और हर एक की मौत का जिम्मेदार था — करण का पूर्व जन्म।
अंधकार का टकराव
करण, जो हवेली में पहुंचा, उसे जैसे ही अंदर कदम रखा, दरवाज़े खुद बंद हो गए। बिजली चली गई और चारों ओर बस सन्नाटा रह गया।
फिर राहुल सामने आया — आँखों में अग्नि, हाथ में वह पुराना तावीज़ जो उसे बचपन में मंदिर के पुजारी ने दिया था।
“तुम्हारी सजा तय हो चुकी है करण,” राहुल ने कहा,
“ये हवेली अब तुम्हारा अंत देखेगी।“
करण हँसा — एक भयानक हंसी।
“मैं अब भी वही हूँ जिसने तुम्हें पहले मिटाया था, अर्जुन! इस बार भी मैं जीतूंगा।“
और फिर शुरू हुआ आत्माओं और अंधकार का टकराव।
भूतिया युद्ध
हवेली का आंगन अब युद्ध का मैदान बन चुका था। आत्माएं हवाओं के रूप में करण पर हमला करने लगीं। वह चीखता, भागता, पर हर कोने में एक और आत्मा उसका इंतज़ार करती।
राहुल और अनाया ने मिलकर उस तावीज़ को हवेली के मध्य भाग में रखा — वही स्थान जहाँ राजा वीरेंद्र सिंह की आत्मा पहले राख बनी थी।
एक शक्तिशाली मंत्र का जाप शुरू हुआ।
हवेली की दीवारों से उजाला फूटने लगा, आत्माओं की चीखें अब शांति की ओर बढ़ रही थीं।
करण ज़मीन पर गिरा, उसका चेहरा डर से भरा हुआ था, और शरीर कांप रहा था।
“मुझे मत ले जाओ…” वो चीखता रहा।
पर देर हो चुकी थी।
अंततः, आत्माएं करण को हवेली की पथरीली ज़मीन में खींच ले गईं — वहीँ जहाँ उसका पूर्वज राजा वीरेंद्र सिंह कभी दफनाया गया था।
प्रेम की मुक्ति
एक पल के लिए सब शांत हो गया।
फिर अनाया की आत्मा धीरे-धीरे हवा में घुलने लगी। वो मुस्कराई, आंखों में सुकून था।
“अब मैं सच में मुक्त हूँ, अर्जुन। तुम्हारा साथ ही मेरी मुक्ति था।“
राहुल ने उसका हाथ थामने की कोशिश की, पर वो अब धीरे-धीरे हवा में विलीन हो रही थी।
“हम फिर मिलेंगे… किसी नए जन्म में… किसी नई कहानी में…” उसकी आवाज़ गूंजती रही।
समाप्ति नहीं, अगली शुरुआत
हवेली अब शांत थी, पहली बार वर्षों में।
राहुल खड़ा रहा, एक वीर सिपाही की तरह, जिसने अपना प्रेम पाया, उसका बदला लिया, और उसे आज़ाद किया।
वो जानता था कि उसकी ज़िंदगी अब फिर पहले जैसी नहीं होगी।
उसने कैमरा उठाया और कहा —
“ये कहानी नहीं है, ये इतिहास है — एक आत्मा की वापसी, एक प्रेम की जीत, और एक पाप की सज़ा। शिमला की इस हवेली में आज भी उसकी रूह गूंजती है… पर अब डर नहीं, बस प्यार है।“
अध्याय 7: एक्शन और बदले की रात
रात गहराती जा रही थी। हवेली “रॉयल ब्लू मिस्ट“ के चारों ओर सिर्फ अंधकार, हवा की सीटी, और आत्माओं की सिसकियाँ थीं। बिजली पूरी तरह से गुल थी। केवल कुछ पुराने दीपक जल रहे थे, जिनकी कांपती लौ वातावरण की रहस्यमयी गंभीरता को और भी भयावह बना रही थी।
हवेली के बीचों-बीच अब खड़ा था करण, हाथ में तलवार, आंखों में घृणा और चेहरे पर तांत्रिक निशान। उसे अब साफ-साफ याद आ चुका था — राहुल ही अर्जुन है, वही अर्जुन जिसे उसके पूर्वज राजा वीरेंद्र सिंह ने मारा था। और अब, उसी आत्मा ने फिर जन्म लिया था… बदला लेने के लिए।
शुरुआत हुई एक भयानक लड़ाई
“तेरा ये पुनर्जन्म भी तुझे बचा नहीं पाएगा!” करण ने गरजते हुए कहा।
राहुल ने अपने हाथ में पुरानी चमकती तलवार उठाई — वही तलवार जो हवेली के तहखाने से मिली थी, जिस पर अनाया का नाम खुदा था।
और अगले ही पल — तलवारें टकराईं।
धातु की तेज़ आवाज़ हवेली की छत तक गूंज गई। हर वार में इतिहास की आग थी।
हर कट में अधूरे प्यार की पीड़ा और हर प्रहार में बदले की लपटें।
तांत्रिकों का आगमन
करण ने पहले से तैयारी कर रखी थी। उसने काले वस्त्रों वाले तीन तांत्रिकों को हवेली में बुला लिया था। वे हवन कुंड लेकर आए और हवेली के बीचों-बीच बैठकर मंत्र जाप शुरू किया।
“ॐ काल भैरवाय नमः…”
हवन से उठती लपटें आत्माओं को रोकने लगीं। आत्माएं तड़पने लगीं, दीवारों पर दौड़ने लगीं। हवेली में फिर सन्नाटा पसर गया, जैसे सब रुक गया हो।
लेकिन तभी…
प्रेम की शक्ति जागी
अनाया की आत्मा ने राहुल की ओर देखा — उसका चेहरा शांत था लेकिन आंखों में आग थी।
उसने दोनों हाथ फैलाए और एक मंत्र बोला जिसे सिर्फ आत्माएं समझ सकती थीं।
अचानक, हवेली की हर आत्मा जाग उठी।
- एक औरत जिसकी हत्या इसी हवेली में हुई थी…
- एक बच्चा जो दीवारों में जिंदा गाड़ दिया गया था…
- एक रक्षक सैनिक जिसकी आत्मा सैकड़ों वर्षों से भटक रही थी…
सब आत्माएं एकत्र हो गईं। तांत्रिकों के मंत्र अब बेअसर हो चुके थे। हवन कुंड बुझ गया।
करण चीखा, “ये कैसे हो सकता है!”
भूत और तलवार की अंतिम भिड़ंत
राहुल और करण फिर आमने-सामने थे।
इस बार हवेली के चारों ओर आत्माएं गोल घेरा बनाकर खड़ी थीं। उनकी उपस्थिति से वातावरण कंपित हो रहा था।
करण ने वार किया — राहुल ने रोका।
राहुल ने प्रतिकार किया — करण का कंधा कट गया।
लड़ाई अब जमीन पर नहीं, आत्मा के स्तर पर थी।
राहुल ने कहा —
“तूने सिर्फ हमें नहीं, इस हवेली की पवित्रता को भी अपवित्र किया है। आज तुझे हर आत्मा का जवाब देना होगा!”
अनाया की शक्ति का विस्फोट
करण ने एक अंतिम वार किया, लेकिन तभी अनाया की आत्मा ने हवा से आकार लिया। उसकी आंखों से रोशनी निकल रही थी, और बाल उड़ रहे थे मानो वज्र बन गए हों।
उसने हाथ बढ़ाया और करण को हवा में उठा लिया।
“तूने सिर्फ प्रेम को मारा नहीं, आत्मा को बाँधा था… अब तुझे मुक्ति नहीं, भस्म मिलेगी!”
अनाया की गूंजती आवाज़ हवेली की दीवारों को हिला रही थी।
करण हवा में तड़पने लगा, चीखने लगा — उसकी आंखों से खून बहने लगा।
फिर…
भड़ाम!!
अनाया ने करण को दीवार से पटक दिया। दीवार टूट गई, और करण की आत्मा चीखते हुए आग में जलने लगी।
हर आत्मा एक स्वर में चिल्लाई —
“इंसाफ!”
करण का अंत
करण की आत्मा धुएं में बदल गई — काली, चिपचिपी, और कराहती हुई।
वो हवेली की ज़मीन में समा गई, जहाँ पहले राजा वीरेंद्र सिंह की राख दफनाई गई थी।
अब वहाँ सिर्फ एक गड्ढा था — गहरा, शांत, और चिरनिद्रा में डूबा हुआ।
राहुल और अनाया की आत्मा ने एक-दूसरे की ओर देखा।
“अब ये हवेली सिर्फ इतिहास है… अब ये भूतों की कैद नहीं, प्रेम की मुक्ति है।”
विराम या आरंभ?
सुबह की पहली किरण हवेली पर पड़ी। दीवारें अब शांत थीं, दीपक अब भी जल रहे थे, लेकिन अब उनके प्रकाश में डर नहीं, शांति थी।
राहुल बाहर आया, हाथ में वो तलवार थी जो अब खून से नहीं, बल्कि पवित्रता से चमक रही थी।
उसने कैमरे की ओर देखा और कहा —
“जिसने समझा कि भूत डरावने होते हैं, वो शायद प्रेम की आत्मा को नहीं जानता। आज एक आत्मा ने प्रेम के लिए लड़ाई लड़ी… और जीत गई।“
अध्याय 8: इश्क़ की मुक्ति
शिमला की वो काली रात, जो कभी सिसकियों और डर से भरी रहती थी, अब शांति की चादर ओढ़े खामोश खड़ी थी। हवेली “रॉयल ब्लू मिस्ट“ — जो सालों तक आत्माओं का बसेरा रही — अब सिर्फ एक पुरानी इमारत थी जिसमें रहस्य नहीं, रहात बसती थी।
वो हवेली जिसने कितनी चीखें सुनी थीं, अब वो प्यार की सबसे आखिरी सिसकी सुनने जा रही थी — राहुल और अनाया की आख़िरी बातचीत।
सच और विदाई की घड़ी
राहुल हवेली की छत पर खड़ा था। ऊपर आसमान में धीरे-धीरे बादल हट रहे थे। चाँदनी बर्फीले आंगन पर गिर रही थी। वहाँ उसकी आंखों के सामने खड़ी थी अनाया की आत्मा — शांत, सुंदर, और अब निखरी हुई।
“सब कुछ ख़त्म हो गया,” राहुल ने धीरे से कहा।
अनाया मुस्कराई — वो मुस्कान जिसमें दर्द भी था, प्रेम भी था, और विदाई की पीड़ा भी।
“अब हवेली आज़ाद है, आत्माएं मुक्त हैं… और मेरा काम भी पूरा हो गया,” अनाया ने कहा।
राहुल की आंखें नम थीं। “लेकिन मैं… मैं अब अकेला रह गया।”
प्रेम जो पूर्ण हुआ, लेकिन अधूरा भी
“अकेला नहीं,” अनाया ने उसका हाथ छूने की कोशिश की, लेकिन हवा में कांपती रेखा बनकर वो स्पर्श अधूरा रह गया।
“तूने मुझे आज़ाद किया, अर्जुन… नहीं, राहुल। तेरे प्रेम ने मेरी आत्मा को मुक्ति दी।”
“फिर क्यों जा रही हो?” राहुल की आवाज कांप रही थी।
“क्योंकि यही नियम है… आत्माएं प्रेम से बंध सकती हैं, लेकिन मोक्ष में स्थायी नहीं हो सकतीं।”
“तो क्या हमारा मिलन अधूरा रह गया?”
अनाया ने सिर हिलाया, “नहीं, सिर्फ टल गया है। हम मिलेंगे… अगले जन्म में। जहाँ न कोई हवेली होगी, न श्राप, न जुदाई। सिर्फ तू और मैं… इंसान बनकर।”
मोक्ष की अंतिम घड़ी
धीरे-धीरे अनाया का शरीर रोशनी में बदलने लगा। उसके चेहरे पर अब डर या दर्द नहीं था — बस शांति और संतोष। आसमान से एक सुनहरी रेखा नीचे उतर रही थी।
आत्माएं जो हवेली की दीवारों में कैद थीं, अब ऊपर उठ रही थीं — जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हें अंतिम विदाई दे दी हो।
हवेली अब सच में भूतहीन हो चुकी थी।
अनाया ने आखिरी बार राहुल की ओर देखा — “तू अब जी, और उस जीवन को जियो जो हमने कभी साथ जीने की कल्पना की थी। मैं वादा करती हूँ… हम फिर मिलेंगे।”
और वह स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गई — एक सुनहरी रेखा में लिपटी, एक इश्क़ की मुक्ति के साथ।
नई सुबह, नई कहानी
सुबह के सूरज ने हवेली की खिड़कियों से झाँकना शुरू किया। अब वहाँ कोई साया नहीं था, कोई परछाई नहीं थी। हवेली के कमरे अब खामोश नहीं, शांत थे।
राहुल छत से नीचे आया। उसके हाथ में अब तलवार नहीं थी, बल्कि एक पुरानी डायरी थी — जिसमें उसने अनाया की कहानी, हवेली की सच्चाई, और अपनी यात्रा का हर अनुभव लिखा था।
उसने रिसॉर्ट को फिर से शुरू करने की ठानी — अब ये Haunted Resort नहीं, बल्कि Healing Retreat बन चुका था।
एक अधूरी मोहब्बत की पूरी पहचान
उस रात की आखिरी वीडियो जो राहुल ने अपलोड की, वायरल हो गई।
“प्यार हमेशा यहीं होता है – चाहे जीवन में हो या मौत के बाद… आत्माएं मरती नहीं, वो बस इंतज़ार करती हैं — मुक्ति की, इश्क़ की।”
लोगों ने कहा – ये सिर्फ एक भूतिया कहानी नहीं थी, ये एक पवित्र प्रेम कथा थी, जिसमें हॉरर के बीच रोमांस, थ्रिल के बीच सुकून, और मौत के बीच जीवन था।
एक और जन्म बाकी है…
हवेली से विदा लेते हुए राहुल ने आसमान की ओर देखा।
एक पत्ता हल्के से हवा में लहराता हुआ उसके कंधे पर गिरा।
उसने मुस्कराकर कहा —
“मिलेंगे… फिर किसी जन्म में, किसी नई कहानी में।“
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