चीकू खरगोश और सच्चाई की ताकत
बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में चीकू नाम का एक नन्हा खरगोश रहता था। चीकू बहुत होशियार, पर थोड़ा डरपोक भी था। वह अपने माता-पिता के साथ एक गुफा में रहता था और हर रोज़ स्कूल जाता था।
एक दिन स्कूल से लौटते समय चीकू ने देखा कि उसके दोस्त पिंकी गिलहरी रो रही थी।
“क्या हुआ पिंकी?” चीकू ने पूछा।
पिंकी ने आँसू पोंछते हुए कहा, “मेरा टिफिन खो गया है। किसी ने चुरा लिया है।”
चीकू परेशान हो गया। उसने सोचा, “अगर मैं उसकी मदद नहीं करूंगा, तो अच्छा दोस्त कैसे बनूंगा?”
वह जंगल के कोने-कोने में गया और सब दोस्तों से पूछा। तभी उसे पेड़ के पीछे रॉनी बंदर मिला जो जल्दी-जल्दी कुछ खा रहा था। चीकू ने देखा कि वह वही खाना है जो पिंकी के टिफिन में था।
चीकू डर गया, लेकिन उसने साहस करके कहा, “रॉनी, क्या तुमने पिंकी का टिफिन लिया है?”
रॉनी पहले तो डर गया, फिर गुस्से में बोला, “नहीं! जाओ यहां से!”
लेकिन चीकू ने हार नहीं मानी। उसने स्कूल की अध्यापिका मिसेज. तोता को जाकर सब बात बताई। मिसेज तोता ने सब बच्चों को बुलाया और पूछा।
रॉनी ने पहले मना किया, लेकिन जब सबने उसे घूरा और चीकू ने कहा, “सच्चाई सबसे बड़ी ताकत होती है,” तब रॉनी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
उसने माफ़ी मांगी और वादा किया कि अब कभी किसी का सामान नहीं लेगा।
पिंकी खुश हो गई और चीकू को गले लगाकर बोली, “तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो।”
उस दिन चीकू ने सीखा कि डर को हराकर सच बोलना और मदद करना ही असली बहादुरी है।
शिक्षा (Moral of the Story):चीकू खरगोश और सच्चाई की ताकत
सच बोलना और सही का साथ देना सबसे बड़ी बहादुरी होती है।
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