एक बार की बात है, एक हरे-भरे आम के पेड़ पर मीना नाम की एक तोती रहती थी। मीना बहुत समझदार थी लेकिन उसे एक आदत बहुत बुरी थी—वह हर काम टालती रहती थी।
जब माँ कहती, “मीना, घोंसला साफ़ कर लो,” तो वह कहती, “अभी नहीं, थोड़ी देर बाद करूंगी।”
जब दोस्त कहते, “चलो, खेलते हैं,” तो वह कहती, “थोड़ा आराम कर लूं, फिर आती हूँ।”
एक दिन, जंगल में तेज़ आंधी आने वाली थी। सारे पक्षी अपने घर मजबूत कर रहे थे, पत्ते ला रहे थे और घोंसले बांध रहे थे। लेकिन मीना आराम से आम खा रही थी और कह रही थी, “अभी बहुत टाइम है!”
अचानक शाम को ज़ोरदार आंधी आई। हवा इतनी तेज़ थी कि मीना का अधूरा घोंसला उड़ गया। वह डरकर एक पेड़ के पीछे छिप गई।
अगली सुबह जब सूरज निकला, मीना ने देखा कि जिन पक्षियों ने समय पर तैयारी की थी, उनके घर सलामत थे। लेकिन उसका घोंसला गायब था।
मीना बहुत दुखी हुई और उसने सब से माफ़ी मांगी।
तभी उसकी माँ ने प्यार से कहा, “बेटी, समय सबसे कीमती चीज़ है। अगर तुम समय पर काम करतीं, तो आज तुम्हारा घोंसला भी सुरक्षित होता।”
मीना ने सिर झुका कर कहा, “माँ, अब मैं कभी समय बर्बाद नहीं करूंगी।”
उस दिन से मीना हर काम समय पर करने लगी। वह सभी बच्चों को भी सिखाती कि समय की कीमत क्या होती है।
शिक्षा (Moral of the Story):
समय की कद्र करने वाले कभी मुश्किल में नहीं पड़ते।
Share this content: